मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे, तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे
रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार और हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है?
नफरत का गुमन गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा, क्यों कर कहूँ लो नाम न उसका मेरे आगे
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है?
तुम ही कहो कि ये अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू क्या है?
Mirza Ghalib
http://www.youtube.com/watch?v=IKjYWtqKPgQ
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